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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नीति आयोग की बैठक में छत्तीसगढ़ की विकास योजनाओं की पेशकश की

5 वर्षों में GSDP को 10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, और तकनीकी उन्नति पर जोर, सौर ऊर्जा और पेयजल परियोजनाओं की योजना

       रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक में भाग लिया और इस अवसर पर राज्य की विकास योजनाओं को प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य की प्राथमिकताओं और विकास की दिशा में उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी।

       मुख्यमंत्री साय ने राज्य के विकास के लिए प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया, जिनमें मानव संसाधन विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और तकनीकी उन्नति शामिल हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए, राज्य का वर्तमान GSDP (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) 5.05 लाख करोड़ रुपये है, जिसे अगले पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कई क्षेत्रों में सुधार और लक्ष्यों पर काम शुरू किया गया है।

       बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने राज्य के युवाओं की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का मुख्य फोकस अब स्किल्ड मानव संसाधन तैयार करने पर है। शिक्षा को व्यावसायिक कौशल और ट्रेनिंग से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि छात्रों को रोजगार के लिए तैयार किया जा सके। इस दिशा में, ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी कार्ड’ (APAAR आईडी) की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जो छात्रों के शैक्षणिक अनुभव से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को डिजिटल रूप में संजोएगी।

       स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में, मुख्यमंत्री ने बेहतर उपलब्धता, सतत विकास, और राज्य की संस्कृति व परंपरा के संरक्षण की योजना साझा की। आर्थिक सशक्तिकरण के लिए, छत्तीसगढ़ सुपर फूड्स की पैदावार और प्राकृतिक औषधालयों का निर्माण किया जाएगा। स्थानीय उत्पादों की प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईटी सेक्टर के विस्तार के साथ-साथ भौतिक संरचनाओं और डिजिटल सुविधाओं के विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।

       मुख्यमंत्री साय ने ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर बिजली आपूर्ति के लिए केंद्र से सहयोग की अपील की। उन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए छतों पर सौर संयंत्र लगाने की प्रक्रिया को सरल किया है और 100 गांवों को पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बनाने की योजना बनाई है। सरकारी भवनों में रूफ टॉप सोलर संयंत्र लगाने के लिए सर्वे पूरा कर लिया गया है और नए रायपुर के अधिकांश सरकारी भवनों में ये संयंत्र स्थापित कर दिए गए हैं, जिनसे विद्युत आपूर्ति ग्रिड में की जाती है।

       मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में मार्च 2026 तक 96 प्रतिशत घरों में पेयजल पहुंचा दिया जाएगा। उन्होंने भारत के 2047 तक जल-सुरक्षित बनने के लक्ष्य के लिए केंद्र सरकार से तकनीकी और आर्थिक सहयोग की अपेक्षा की। रायपुर में नेशनल ग्राउंड वाटर ट्रेनिंग और रिसर्च इंस्टीट्यूट को और मजबूत करने के साथ-साथ वर्षा-जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र की स्थापना की भी मांग की गई, जिससे बारिश के पानी को सही से संचित और इस्तेमाल किया जा सके, जल संकट कम हो और किसानों को सहायता मिल सके।

       आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की तैनाती की गई है, जिससे छत्तीसगढ़ के सबसे दुर्गम इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच रही हैं।

       मुख्यमंत्री ने भूमि और संपत्ति के मुद्दों पर भी बात की, और बताया कि छत्तीसगढ़ में सभी भूमि रिकॉर्ड डिजिटल किए जा रहे हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगेगा, जिससे भूमि विवादों को आसानी से सुलझाया जा सकेगा और राज्य में निवेश और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

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