छत्तीसगढ़दुर्ग

छत्तीसगढ़ में एमए छात्रों के लिए अतिथि व्याख्याता बनाने का निर्देश जारी

शिक्षा मंत्रालय द्वारा एमए छात्रों को अनुभव साझा करने के लिए अतिथि व्याख्याताओं को बढ़ावा

अतिथि व्याख्याताओं को बनाया जाएगा एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारी” सबहेडिंग: “सरकार द्वारा जारी आदेश ने बढ़ाई छत्तीसगढ़ी विद्यालयों में योग्यताधारी की भूमिका

मुखरता से इस मांग को उठाने वाले साहित्यकार पारकर ने कहा : सब काम होवत हे साय साय
 

       भिलाई। छत्तीसगढ़ शासन ने एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारी युवाओं को अतिथि व्याख्याता बनाने आदेश जारी कर दिया है।  इससे एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई कर चुके युवाओं में हर्ष है। दशक भर पहले इस विषय की पढ़ाई शुरू करने की मांग प्रमुख रूप से उठाने वाले और बाद में एमए छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारी युवाओं को शासकीय सेवाओं में भर्ती की मांग करने वाले साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर ने इस पर संतोष जताया है। पारकर ने कहा है कि-सब काम होवत हे साय साय। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस पहल से एमए छत्तीसगढ़ी कर चुके युवाओं को बड़ी राहत मिलेगी। इस संदर्भ में पारकर ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा से कवर्धा में मुलाकात की और शासन का आभार जताया।

       उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन ने एमए छत्तीसगढ़ी योग्यताधारी अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति करने 3 अप्रैल को आदेश जारी किया है। उच्च शिक्षा संचालनालय आयुक्त शारदा वर्मा के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में राज्य के समस्त विश्वविद्यालय के कुलपतियों से कहा गया है कि एमए छत्तीसगढ़ी विषय के अध्यापन हेतु छत्तीसगढ़ी विषय में ही स्नातकोत्तर की योग्यता रखने वाले आवेदकों को अतिथि व्याख्याता के तौर पर चयन की कार्यवाही की जाए। इसे आवश्यकता अनुसार विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों में यथा स्थान संशोधन की कार्रवाई भी की जाए।

       उल्लेखनीय है कि दुर्गा प्रसाद पारकर को एमए छत्तीसगढ़ी के प्रवर्तक के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने दशक भर पहले यह मांग उठाई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों में एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई शुरू करवाई थी। वर्तमान में पारकर का लिखा उपन्यास ‘बहू हाथ के पानी’ हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग के एम .ए. हिन्दी और हरिशंकर परसाई के व्यंग्य ‘मन के संग्रह’ का छत्तीसगढ़ी अनुवाद ‘सुदामा के चाँउर’ पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के एम.ए.छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम में शामिल है। पारकर ने बताया कि उनके गद्य साहित्य के विश्लेषणात्मक अध्ययन पर शिवांगी पाठक पीएचडी कर रही हैं। पारकर ने छत्तीसगढ़ शासन के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है।

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