छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

युवोदय दुर्ग के दूत स्वयं सेवकों द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु चलाए जा रहे विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम

स्वयंसेवकों द्वारा विभिन्न ग्राम पंचायतों में बाल विवाह विषय पर चर्चा एवं नारा लेखन कार्य किया गया

       दुर्ग। कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में जिले में बाल विवाह जैसे सामाजिक कुरीतियाँ समाप्त करने विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री अजय शर्मा के दिशा निर्देशन तथा जिला समन्वयक शशांक शर्मा के नेतृत्व में युवोदय दुर्ग के दूत स्वयं सेवकों के द्वारा ब्लॉक धमधा के ग्राम धौराभाटा, ग्राम तरपोरी में बाल विवाह रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत तरकोरी में स्वयंसेवक निरंजन के द्वारा सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में पोस्टर चिपकने का कार्य किया गया। ग्राम बोरीगारका में स्वयंसेवकों द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन दीदी एवं युवोदय वालंटियर से बाल विवाह से संबंधित चर्चा की गई एवं नारा लेखन का कार्य किया गया।

       स्वयं सेवको के द्वारा बाल विवाह रोकथाम जागरुकता से संबंधित पोस्टर सार्वजनिक स्थानों मे चस्पा करके समुदाय के लोगों को बाल विवाह से होने वाले हानिकारक प्रभावों के विषय मे जानकारी दिया गया। बाल विवाह एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है जो दुनिया भर में प्रतिवर्ष लाखों लड़कियों को प्रभावित करता है, जो उनके बचपन, शिक्षा और भविष्य के अवसरों को छीन लेता है। भारत में, कानूनी प्रावधानों के बावजूद, बाल विवाह एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, खासकर ग्रामीण और समाज से वंचित समुदायों में। बाल विवाह को समाप्त करने में एक मुख्य चुनौती यह है कि इस अभिवादन के पीछे छिपी सामाजिक मान्यताएं और विश्वास हैं जो इसे प्रथा बनाती हैं। गरीबी, शिक्षा की कमी और लिंग असमानता भी इस समस्या को और अधिक बिगाड़ती हैं, जिससे लड़कियाँ अपने बचपन से ही शादी के लिए मजबूर होती हैं।

       बाल विवाह के कारण लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, और सम्पूर्ण कल्याण प्रभावित होता है। शीघ्र गर्भावस्था मातृत्व मृत्यु और मृत्यु के जोखिम को बढ़ाती है और यह लड़कियों को उनके शिक्षा के अधिकार से वंचित कर देती है, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए अवसरों की सीमा को कम करता है। भारत में बाल विवाह अधिनियम 2006 (निषेध और उसकी रोकथाम) 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों की शादी को निषेधित करता है। इस कानून के बावजूद, प्रवर्तन एक चुनौती है, और कई मामले अर्जित नहीं होते हैं या समाधान के लिए अर्जित नहीं होते हैं।

       बाल विवाह को खत्म करने के लिए सरकारी एजेंसियों, सिविल सोसायटी आर्गेनाइजेशन्स और समुदायों की भागीदारी सहित कई पहलुओं का सम्मिलित दृष्टिकोण आवश्यक है। जागरूकता अभियान लड़कियों की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण में उच्चस्तरीय परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है और उनके सतत विकास के लिए एक बाधा है। यह महत्वपूर्ण है कि इस हानिकारक प्रथा की समाप्ति सुनिश्चित करने हेतु हम मिलकर काम करें। युवोदय दुर्ग के दूत स्वयं सेवकों के द्वारा आगामी दिनों मे भी बाल विवाह रोकथाम हेतु जिले के विभिन्न क्षेत्रों मे जागरूकता गतिविधियां की जायेंगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker