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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: महा विकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान

मुंबई की 36 सीटों पर कांग्रेस और शिवसेना ठाकरे गुट में विवाद

कुर्ला, वर्सोवा और घाटकोपर पश्चिम जैसी प्रमुख सीटों पर तीनों दलों का दावा

सीट बंटवारे पर सहमति के लिए एमवीए की बैठकें जारी

मुंबई।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: महा विकास अघाड़ी में सीट बंटवारे पर रस्साकशी
       महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तैयारियों में सभी राजनीतिक पार्टियां जुट गई हैं, और जनता को लुभाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। गठबंधन की राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप के बीच, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत बुधवार को फिर से शुरू हो गई है। खासतौर पर मुंबई की विधानसभा सीटों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जहां कांग्रेस अधिक सीटों पर दावा कर रही है।

मुंबई में सीट बंटवारे पर फोकस

       सूत्रों के अनुसार, मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट ने 6 सीटों पर समान दावा किया है। हाल ही में बांद्रा के बीकेसी सोफिटेल होटल में एमवीए नेताओं की एक बैठक हुई, जो साढ़े तीन घंटे तक चली। इसमें कांग्रेस से नाना पटोले और अतुल लोंधे, ठाकरे शिवसेना से संजय राउत और अनिल देसाई, और एनसीपी शरद पवार गुट से जितेंद्र आव्हाड और जयंत पाटिल शामिल हुए।

सीट बंटवारे को लेकर दावा

       शिवसेना ठाकरे गुट ने 20 सीटों पर, कांग्रेस ने 18 सीटों पर, और एनसीपी शरद पवार पार्टी ने 7 सीटों पर अपना दावा किया है। इससे कांग्रेस और शिवसेना ठाकरे गुट के बीच 6 सीटों को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा, कुर्ला, वर्सोवा और घाटकोपर पश्चिम की तीन सीटों पर तीनों दलों का जोर है।

विवादित 6 सीटें

कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट के बीच विवादित 6 सीटें हैं:

  1. बायकुला
  2. कुर्ला
  3. घाटकोपर पश्चिम
  4. वर्सोवा
  5. जोगेश्वरी पूर्व
  6. माहिम

अन्य सीटों पर चर्चा शेष

       मुलुंड, विलेपार्ले, बोरीवली, चारकोप, और मालाबार हिल जैसी अन्य 5 सीटों पर अभी तक बैठक में चर्चा नहीं हुई है। इन सीटों को लेकर आने वाले दिनों में एमवीए के दलों के बीच और बैठकें होंगी ताकि सीट बंटवारा अंतिम रूप से तय किया जा सके।

चुनावी समीकरण और गठबंधन की चुनौती

       एमवीए के नेता इस बार लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सीटों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। हालांकि, सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाना उनके लिए एक चुनौती बन सकती है।

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